Monday, February 23, 2009

आर्थिक संकट और अमेरिकी राष्ट्रपति

इन दिनों, यदि हमारे चारों ओर कोई शब्द सुनाई देतें है वो हैं आर्थिक संकट और उससे उबरने के लिए सरकार का प्रोत्साहन कार्यक्रम, ऐसा लगता है इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है.

वर्ष १९२९ में शेयर मार्केट गिरने के बाद अमरीका ही नहीं पूरी दुनिया में मंदी का दौर छा गया था. बैंक, व्यापार, सभी बडी-बडी संस्थाऐ इसकी गिरिफ़्त में थी. लाखों लोग बेरोज़गार हो गए थे. आर्थिक मंदी के इस दौर में फ्रैंकलिन रोज़ावेल्ट अमरीका के राष्ट्रपति बने. उन्होंने फिर से सरकार और जनता के बीच एक नया समझौता करवाया जिसका नाम था "न्यू डील ". उसके तहत सरकार ने स्वयं नई नौकरियां दीं, सोशल सिक्यूरिटी, मैडीकेयर,फ़ूड स्टैम्प जैसे कार्यक्रम शुरू किए गये. ये ऐसे प्रयास थे जिन्होंने सरकार और जनता के बीच एक मज़बूत दीवार का सा काम किया. राष्ट्रपति रोज़वेल्ट का ये मानना था कि सरकार का ये फ़र्ज़ है ऐसे मुशकिल के दौर में वो जनता की मदद करे.हुआ भी ये कि उनकी नई योजना अमरीका की अर्थव्यवस्था में एक नई सुबह लेकर आयी.

लेकिन १९८० के दशक में राष्ट्रपति रेगन की विचारधारा इससे बिल्कुल हटकर थी उनका मानना था हर इंसान को अपनी ज़िन्दगी
अपने प्रयास अपने बल पर जीनी चाहिए, सरकार से सिर्फ़ उसे एक ही आशा रखनी चाहिए और वो है सुरक्षा की कि वो उसकी सुरक्षा का ख्याल रखेगी. और हुआ भी ये कि उस समय तक जारी सामाजिक सहायता के बहुत से कार्यक्रम बंद कर दिए गये.

राष्ट्रपति रेगन, माग्रेट थेचेर की तरह मंङी अर्थव्यवस्था में विश्वास करते थे दोनों का ही मानना था व्यापार को आगे बढ़ने में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए तभी देश में खुशहाली आती है.

लेकिन अब जो मंदी, वर्ष २००८ में शुरू हुई है उसका प्रभाव एक बार फिर पूरे विश्व में छाया हुआ है करोड़ों लोग, दिन पर दिन बेरोज़गारी और मजबूरियों के संकट से घिरा महसूस कर रहें है. ऐसे मुशकिल दौर में अमरीका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने, राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रोज़वेल्ट की ही तरह सरकार और जनता के बीच एक नया समझौता करवाने का प्रयास किया है. सरकारी नौकरियां,नए रोज़गार, जनता के लिए आर्थिक प्रोत्साहाहन योजनाये को अंजाम देने का कठिन मार्ग इसलिए अपनाया है ताकि जनता ने जिस सरकार को चुना है वो आम लोगों की मदद कर सके।

3 comments: